शब्दों के बाग़ से चुने कुछ कलियाँ
गुथी एक माला
और यूं बुनी है एक कविता
एक कविता ,धीमे धीमे...
जिसने सीखा महकना
फूलों से दोस्ती करना
धागों से गुफ्तगू करना
रंगो में घुल घुल हंसना
कुछ लिखा,कुछ ना लिख पाय
कुछ कह दिया,कुछ भूल गया
कुछ सुना गया,कुछ अन्सुना रह
तुम्हारे लिए तो बुनी थी शब्दों कि माला
तुम्हारे लिए ही नर्म खुशबु भरी थी
शायद लगा मुझे के
तुम इससे अपने करीब पाओगे
इस रंगभरी कविता को
अपने होठो पे सजाओगे
आह.....तुमने तो छुआ भी नही
मेरा दिया तोहफा तो खुला ही नही
दम घुट गया उसका धीमे धीमे
लेटे लेटे एक "gift wrapper " से कमरे में
सो गयी थक-कर
वो दो आंखें पीली पीली
झिन्झोड़ा आज बहुत...उठी नही
एक फूल भी नसीब नही हुआ
उस माला को ..जो फूलों से भरी थी
काश !आज भी तुम आ जाओ
उस कविता को सुर्ख फूल दिखा जाओ
क्या खबर...शायद फिर से उखड़ी साँसे आ जाये
क्या खबर...शायद फिर से दो धड़कने हिला जाये!
...........
गुथी एक माला
और यूं बुनी है एक कविता
एक कविता ,धीमे धीमे...
जिसने सीखा महकना
फूलों से दोस्ती करना
धागों से गुफ्तगू करना
रंगो में घुल घुल हंसना
कुछ लिखा,कुछ ना लिख पाय
कुछ कह दिया,कुछ भूल गया
कुछ सुना गया,कुछ अन्सुना रह
तुम्हारे लिए तो बुनी थी शब्दों कि माला
तुम्हारे लिए ही नर्म खुशबु भरी थी
शायद लगा मुझे के
तुम इससे अपने करीब पाओगे
इस रंगभरी कविता को
अपने होठो पे सजाओगे
आह.....तुमने तो छुआ भी नही
मेरा दिया तोहफा तो खुला ही नही
दम घुट गया उसका धीमे धीमे
लेटे लेटे एक "gift wrapper " से कमरे में
सो गयी थक-कर
वो दो आंखें पीली पीली
झिन्झोड़ा आज बहुत...उठी नही
एक फूल भी नसीब नही हुआ
उस माला को ..जो फूलों से भरी थी
काश !आज भी तुम आ जाओ
उस कविता को सुर्ख फूल दिखा जाओ
क्या खबर...शायद फिर से उखड़ी साँसे आ जाये
क्या खबर...शायद फिर से दो धड़कने हिला जाये!
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7 comments:
Kavita aur Kalam, dono ke warnan bahut jiwant hain aur main ye chahunga ki agli kavita ki saansein aur dhadkano ki byaar aur bhi khusgawaar ho :).
Kavita aur Kalam, dono ke warnan bahut jiwant hain aur main ye chahunga ki agli kavita ki saansein aur dhadkano ki byaar aur bhi khusgawaar ho..
Haste Khelte Kalam itna acha likhne lagegi ye maloom nahi tha but do tell who is in love Kala, or U. Kavita ko hoton par sajane waali jaldi hi aayyegi :)
Good Job
Makes for good reading. Simple thoughts expressed well. Looking forward to more of this kind.
really beautiful composition..full of emotions...conveying deep meanings...this kavita is much much more than what it just appears..there is something in it..which is not so apparent..but still tells about its presence...any one interested can just find that out..!!!!!
rachnatmakata, tulnatmatakata aur bhawnatmakata ka adbhoot sangam hai. mishrit(mixed) shaili ke prayog, shrota ko mansicata aur aatmicta ke vibhinn (various) aayaam se lekar jaata hai. Aur yahi baat is kavita ki mujhe sabse pyari lagi . kavi ne shabdon ka istnaal kaphi soojboojh aur samajhhdaari ke saath kiya hai.
bahut achhe....
Hope..ummeed pe duniya khayam hai... a well written poem. expecting more on these lines.
~Anonymous
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