Saturday, November 25, 2006

Triveni......The three liners

What is a Triveni?

This craft owes it's existence to legendary Gulzar....Gulzar named
this three liner form as "triveni" ..the third line should open a new perspective or unfold completely new dimension or simply give twist to the upper two line(which are like sher... complete in their own way)

In words of Gulzar.....

त्रिवेणी नाम इसलिये दिया था कि संगम पर तीन नदियाँ मिलती हैं.गंगा जमुना और सरस्वती. गंगा और जमुना के धारे सतह पर नज़र आते हैं लेकिन सरस्वती जो तक्षशिला के रस्ते बह कर जाती थी, वो ज़मीन्दोज़ हो चुकी है. त्रिवेणी  के तीसरे मिसरे(LINE) का काम सरस्वती दिखाना है जो पहले दो मिसरों मे छुपी हुई है...

So here i am presenting few of my own Triveni's...on different topics


******विराम******

अपने पराये भूल के उसके पीछे भागा
सपने में भी सपने के पीछे भागा

जिन्दगी कि कलम विराम कब लगायेगी???





******छाँव******


ये लम्हा कभी धूप में वो लम्हा कभी छांव में
ये धूप छांव का खेल,चलता है जिन्दगी तेरे गाँव में

तभी तू मुझे अक्सर श्वेत और श्याम नज़र आती है!




******
मौन की गूँज******

दो उदास आंखे..रात की खामोशी

करती रहती बातें...कुछ कही- अनकही

मौन की गूँज कल पूरी रात सुनायी दी



******
शब******
दिन में भी शब आती.. जाती रही
ख्वाब जो उमड़ते थे..उन्हें पिघलती रही

इतनी आंच कहा से आयी..पता ना चला




******
उम्मीद******

उसी उम्मीद ने बे-वजह नाउम्मीदगि दिलाई
किसी नाउम्मीद ने बा-वजह उम्मीदगी सिखाई

ये अजीब खेल...ख़त्म होते ही शुरू हो जाता है!





******
आंचल में मोती******

ख्यालों में उसके आंचल में मोती पिरोता रह....सारी उम्र
ख्यालों में उसके दामन में हीरे भिगोता रह....सारी उम्र

मरा मिला मजनू वो आज.....हीरे-मोती दो रोटियां ना खरीद सके!




******
रस सूख गया******

तेरी मासूमियत मह्काने के लिए दिए थे जो रस
धीरे धीरे सूखने लगे जब बीते कुछ बरस

आखिर तेरी खुशियाँ किसी और को भाती क्यों नही?




More to come in subsequent blogs.....